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गंगा आध्यात्मिक और औषधीय गुणों का संगम

जै गंगा मैया।
 
श्री गंगा भागीरथी महात्म्य ग्रंथ में संकलित श्री गंगा महात्म्य में वर्णित श्री गंगा जी की महिमा-
 
रोगं शोकं तापं पापं हर में भगवती कुमति कलापम् ।
त्रिभुवन सारे वसुधा हारे त्वमसि गतिर।ममखलु संसारे।।
 
आदि गुरु शंकराचार्य जी ने उपरोक्त महिमा गाते-गाते मां की आराधना की।
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गंगा के पवित्र जल से रोगों का उपचार: एक अद्भुत दिव्यता

देवभूमि हिमालय उत्तराखंड से निकलने वाली पूण्य सलिला परम् श्लाघनीय मां गंगा के पवित्र जल से रोगों के उपचार की दिव्य शक्ति से पश्चिमी जगत चकित है, कि एक बहते पानी में रोग निवारण की क्षमता कैसे हो सकती है। श्री गंगा दशहरा स्तोत्र में स्कंद पुराण के काशी खंड में भी इसकी पुष्टि की गई है।
 
रोगस्थो रोगतो मुच्येद्विपदश्च विपद्युतः

महर्षि वाल्मीकि के गंगाष्टकम् में गंगा की दिव्य रासायनिक शक्तियाँ: एक अद्भुत वर्णन

महर्षि वाल्मीकि मुनि जी ने गंगाष्टकम् में गंगा जल की दिव्य रासायनिक शक्तियों को सांकेतिक शब्दों में कहा है-
 
पापापहारि दुरितारि तरंग धारि शैल प्रचारि गिरिराज गुहा विदारी।
झंकारकारि हरिपादरजोपहारि गांगं पुनातु सततं शुभकारि।

भव्य मंत्र: नारद पुराण में

 
स्थाणु जंगमसम्भूतविषविषहन्त्रि नमोस्तुते
संसार विषनाशिन्ये जीवनायै नमो नमः।
 
यानि गंगा आदिभौतिक,आदि दैविक, आध्यात्मिक तीनों तापों को नाश करने वाली है।
 
दशधा संस्थितैर्दोषेःसर्वैरैवप्रमुच्चते।
रोगी प्रमुच्चते रोगान्मुच्येतापन्न आपदः।

सिद्धियों की अनन्त धारा: गंगा की विशेषता

 

ब्रह्म वैवर्त पुराण में गंगा सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली है।
 
सिद्धिदा सिद्धि संसैव्या सिद्धि पूज्या सुरेश्वरि
साधिका साधनातुष्टा साधकानांप्रियंकरी
योगगम्या योगिधरा योगप्रिति विवर्धिनी।
योग मार्गरता साद्धया साधका भीष्ट दायिनी।
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उपरोक्त का सारांश यह है कि मां गंगा की महिमा अद्वितीय है। वे रोग, शोक, ताप, और पाप को हर लेती हैं और भगवती कुमति के कलाप को नष्ट करती हैं। आदि गुरु शंकराचार्य जी ने भी उनकी महिमा की गान की। हिमालय से उत्पन्न होकर गंगा का जल पवित्र है और उसकी शक्ति से रोगों का उपचार होता है। श्री गंगा दशहरा स्तोत्र में भी उनकी प्रशंसा है। महर्षि वाल्मीकि मुनि जी ने भी उनकी दिव्य शक्तियों को स्तुति की है। गंगा को नारद पुराण में संसार के विष को नष्ट करने वाली, जीवन के लिए आश्रयदाता कहा गया है। ब्रह्म वैवर्त पुराण में भी उन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों का दाता बताया गया है। गंगा मां योग, साधना, और सिद्धि के लिए अत्यंत प्रिय हैं।

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