भगीरथ शिला: गंगोत्री में देवी गंगा के अवतरण का पवित्र स्थान
गंगोत्री, उत्तराखंड का एक पवित्र धाम, जहां राजा भगीरथ ने अपनी तपस्या से देवी गंगा को पृथ्वी पर आने के लिए वरदान प्राप्त किया था। इसी धाम में स्थित भगीरथ तपस्थली, जिसे हम भगीरथ शिला कहते हैं, एक पवित्र स्थान का प्रतीक है। आइए, जानते हैं इस अनमोल शिला के बारे में और कैसे धरती पर गंगा मैया के अवतरण का साक्षात्कार हुआ।
भगीरथ तपस्थली का महत्व:
भगीरथ तपस्थली या भगीरथ शिला गंगोत्री में स्थित है, और यहां राजा भगीरथ ने देवी गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तप किया। इस शिला का सीधा संबंध गंगा मैया के पावन अवतरण से है।
भगीरथ शिला का स्थान:
यह शिला मुख्य गंगोत्री मंदिर से नीचे की ओर स्थित है, गंगा घाट की दिशा में। यह शिला गंगा नदी के किनारे स्थित है और इसके पास गंगा धारा आरती आयोजित होती है, जो मुख्य मंदिर की सायंकाल आरती से पहले होती है।
भगीरथ शिला में श्रद्धालुओं का संग:
प्रतिदिन कई श्रद्धालु इस शिला मंदिर को पूजने के लिए यहां पहुंचते हैं। इसे देखकर उनका मन शांति से भर जाता है और वे यहां से पवित्र गंगा नदी में स्नान के बाद मुख्य मंदिर की ओर बढ़ते हैं।
भगीरथ शिला, जो गंगोत्री में स्थित है, वह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस पवित्र स्थान की यात्रा व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर एक कदम और बढ़ाती है, जब वह भगीरथ शिला की पवित्रता और गंगा मैया के अवतरण की कथा सुनता है।